दो लोगों की मिट्टी में रेखाएं बना कर कुछ बूंदों को नदी दिखाते
मासूम , खुश चहकते हुए इस बात से अंजान की दूर एक बांध है
जिसके खुलते ही वह जाएंगे सपने, हंसी और खुशियां ,रह जाएगी
कभी न खत्म होने वाली रेगिस्तान की प्यास, लील जाते सावन को ।
In remembrance of a long gone friend who passed away in 2006 july.