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Saturday, May 18, 2024

आस की आस

एक आस के पूरी होने की आस,
और इस आस में जीने की आस
हर पल मन को भटकाती आस
न थमती न थमने देती आस 

उजले सपनों को भोर की आस
गिरती बूंदों को मेघ की आस
नन्हे कदमों को दौड़ की आस
थमती सांसों को और की आस

उजड़े आंगन को चूल्हे की आस
नन्हे तिनको को ओस की आस
जीवन को नित कल देती आस
यूं जीवन को जीवन देती आस ।।

Monday, November 21, 2022

यशोधरा का बुद्धत्व


अंधेरी रातों के सिंदूर माथे पर सजाए,
हर चढ़ते सूरज से उम्मीदें लगाए,
हे यशोधरे तूने जिए सुहागन वैधव्य,
ताकि सिद्धार्थ स्वयं अर्थ सिद्ध कर पायें।।

सुबोध