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Sunday, April 26, 2020

यादें

यादें रह जाती हैं एक हरी पत्ती की तरह,
हवाओं से लड़ती सूखी टहनी से चिपकी,
बोलते हुए सन्नाटे से नोक झोंक करती,
इस उम्मीद में कि ये दरख़्त फिर हरा हो ।